फरवरी 2025 में University Grants Commission (UGC) द्वारा सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि MPhil और PhD डिग्री पर दिए जाने वाले वेतनवृद्धि (increments) अब बंद किए जाएँ। इस निर्णय के तहत कई शिक्षकों को UGC PhD MPhil increments 2025 के तहत मिलने वाली सुविधाओं से वंचित कर दिया गया और पहले से दिए गए increments की रिकवरी (recovery) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
सैलरी कटौती और रिकवरी नोटिस
दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया, अंबेडकर यूनिवर्सिटी और बीएचयू के सैकड़ों फैकल्टी सदस्यों को MPhil increments recovery notice जारी किए गए हैं। कई शिक्षकों की सैलरी से प्रत्यक्ष कटौती की गई और कुछ प्रोफेसरों को ₹10-15 लाख तक की रिकवरी बिल थमाई गई।
दिल्ली की एक सहायक प्राध्यापक ने अपना नाम न बताने पर बताया कि:
“UGC के इस आदेश से मेरी लगभग ₹15 लाख की रिकवरी निकली है। यह मेरे लिए बहुत बड़ा आर्थिक झटका है।”
UGC PhD MPhil increments 2025 का शिक्षकों द्वारा विरोध और कानूनी लड़ाई
2017 में ही Delhi University Teachers Association (DUTA) ने increments खत्म करने का विरोध किया था। उस समय शिक्षकों ने Delhi University faculty protest 2025 के तहत Black Day मनाया और कहा कि यह उच्च योग्यता का अपमान है।
2018 में UGC ने एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर non-compounded increments की अनुमति दी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश कानूनी रूप से 2017 के निर्देश से ऊपर है।
अब 2025 के नए सर्कुलर के बाद, अंबेडकर यूनिवर्सिटी के कई शिक्षकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने फिलहाल status quo बनाए रखने का आदेश दिया है।
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क्यों ज़रूरी हैं PhD-MPhil increments?
शिक्षाविदों का कहना है कि increments सिर्फ पैसों का सवाल नहीं है, बल्कि यह शोध और शिक्षा की गंभीरता को मान्यता देने का तरीका है। अन्य प्रोफेशन में छात्र 21-24 की उम्र में नौकरी शुरू कर देते हैं, जबकि अकादमिक्स की एंट्री उम्र 30-35 साल तक पहुँच जाती है। ऐसे में PhD salary cut UGC India और अन्य नीतिगत बदलावों के असर को कम करने के लिए MPhil/PhD increments दिए जाते थे।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के फैकल्टी सदस्य देबादित्य भट्टाचार्य ने कहा:
“CAS प्रमोशन सालों तक अटक जाते हैं। ऐसे में increments हटाने का तर्क बेहद कमजोर और अनुचित है।”
उच्च शिक्षा पर असर
शिक्षक संगठनों का कहना है कि इस कदम से भारतीय उच्च शिक्षा पर नकारात्मक असर पड़ेगा:
- PhD करने की प्रेरणा घटेगी, क्योंकि छात्र सीधे मास्टर डिग्री के बाद नौकरी ढूँढेंगे।
- PhD एक दंड (penalty) जैसी लगने लगेगी।
- MA पास साथियों की तुलना में PhD धारक वेतन और पद में पीछे रह जाएँगे।
- इससे शोध की गुणवत्ता और अकादमिक प्रतिबद्धता कमजोर होगी।
- UGC circular on PhD increments की वजह से भविष्य में शोध और शिक्षण में असमंजस पैदा हो सकता है।
आगे क्या?
फैकल्टी सदस्य उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट और सरकार इस फैसले की समीक्षा करेंगे।
एक सहायक प्राध्यापक ने कहा:
“सरकार को अपनी ही गजट अधिसूचनाओं का सम्मान करना चाहिए। PhD और MPhil डिग्री का महत्व सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि वेतनमान में भी दिखना चाहिए।”
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निष्कर्ष
इंडियन एक्सप्रेस के एक रिपोर्ट के अनुसार UGC द्वारा जारी फरवरी 2025 के सर्कुलर ने PhD और MPhil increments बंद कर शिक्षकों की सैलरी में कटौती और लाखों की रिकवरी की प्रक्रिया शुरू की है। इससे उच्च शिक्षा में शोध की प्रेरणा कम हो सकती है और PhD धारक MA पास साथियों के मुकाबले वेतन और पद में पीछे रह सकते हैं। शिक्षकों और संगठनों ने विरोध जताया है और कई ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। आगे देखिए क्या होता है।