सेतुबन्ध स्कॉलर योजना 2025 गुरुकुल शिक्षा प्राप्त छात्रों को ₹65,000 मासिक छात्रवृत्ति और वार्षिक ग्रांट देती है। यह योजना पीजी और पीएचडी स्तर पर 18 विषयों में शोध के लिए है, आगे इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी दी गयी है।
Setubandh Scholar Yojana क्या है?
सेतुबंध स्कॉलर योजना (Setubandh Scholar Yojana) भारत सरकार की एक बेहतरीन पहल है, जो उन युवाओं के लिए बनाई गई है जिन्होंने पारंपरिक तरीके यानी गुरुकुल जैसी शिक्षा प्राप्त किया है। इस स्कीम का मकसद ऐसे छात्रों को बिना NET या JRF जैसी परीक्षाएं दिए भी रिसर्च और पढ़ाई का मौका देना है।
यह सिर्फ एक स्कॉलरशिप नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक गुरुकुल शिक्षा और आधुनिक वैज्ञानिक रिसर्च (जैसे IITs में) के बीच एक “सेतु” (पुल) बनाना है
मतलब जिनके पास डिग्री नहीं है लेकिन ज्ञान है, उन्हें भी बड़े-बड़े रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में रिसर्च करने और फेलोशिप पाने का पूरा मौका मिलता है।
(Setubandh Scholar Yojana) सेतुबंध स्कॉलर योजना की ज़रूरत क्यों पड़ी?
दरअसल, बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने गुरुकुलों से काफी अच्छी पढ़ाई की होती है, लेकिन डिग्री न होने की वजह से वो आगे नहीं बढ़ पाते। सिस्टम ऐसा बना हुआ था कि बिना डिग्री कुछ नहीं होता। इसी गैप को खत्म करने के लिए ये योजना लाई गई है। ये योजना एक तरह से ब्रिज (सेतु) की तरह काम करती है, जो पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा के बीच कनेक्शन बनाती है। इससे न सिर्फ शिक्षा में समानता आती है, बल्कि गुरुकुलों की पुरानी ज्ञान परंपरा भी जिंदा रहती है।
महत्वपूर्ण तिथियां | |
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ऑनलाइन आवेदन प्रारंभ | 14 जुलाई 2025 |
आवेदन की अंतिम तिथि | 15 अगस्त 2025 |
इस योजना के खास फायदे क्या हैं?
इस योजना की सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें NET या JRF जैसी एग्ज़ाम्स की ज़रूरत नहीं होती। अगर आपके पास पारंपरिक शिक्षा है तो आप सीधे IIT जैसे बड़े संस्थानों में रिसर्च कर सकते हैं। साथ ही, सरकार आपको हर महीने ₹40,000 से ₹65,000 तक फेलोशिप भी देती है। इतना ही नहीं, आपको रिसर्च के लिए आज़ादी भी मिलती है कि आप जिस टॉपिक पर चाहें, उस पर काम करें।
कौन कर सकता है आवेदन?
- केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और शिक्षा मंत्रालय ने सेतुबंध स्कॉलर योजना शुरू की है। यह योजना उन विद्वानों के लिए है जिन्होंने कम से कम 5 वर्षों तक गुरुकुल जैसी संस्था में अध्ययन किया है।
- जिसकी आयु अधिकतम 32वर्ष हो ।
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फॉर्मल डिग्री (जैसे BA/MA) की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि शास्त्रीय ज्ञान में निपुणता ही मुख्य मानदंड है।
योजना की श्रेणियाँ (Scheme Categories)
स्नातकोत्तर (PG) स्तर के विद्वान (स्कॉलर)
ऐसे अभ्यर्थी जिन्हें विशेषज्ञ समिति कि टिम यह मानती है कि उनके पास स्नातक (Bachelor’s Degree) के बराबर ज्ञान है और वे किसी मास्टर डिग्री (Postgraduate) कोर्स के लिए पूरी तरह योग्य हैं।
पीएच.डी. स्तर के विद्वान (स्कॉलर)
ऐसे अभ्यर्थी जिन्हें विशेषज्ञों ने यह माना है कि उनके पास मास्टर डिग्री (Postgraduate) के बराबर ज्ञान है और वे पीएच.डी. (Doctorate) स्तर की पढ़ाई या रिसर्च करने के लिए सक्षम हैं।
फेलोशिप में कितना पैसा मिलता है?
जिनका चयन हो जाता है, उन्हें हर महीने ₹40,000 से ₹65,000 तक फेलोशिप दी जाती है। ये पैसे पूरे रिसर्च पीरियड तक मिलते हैं।
- कैटेगरी 1 (PG लेवल): जिन्हें ग्रेजुएशन के बराबर ज्ञान है। चयनित PG लेवल छात्रों को₹40,000 प्रति माह स्कॉलरशिप और ₹1 लाख का वार्षिक रिसर्च अनुदान (रिसर्च ग्रांट) मिलता है।
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कैटेगरी 2 (PhD लेवल): जिन्हें मास्टर डिग्री के बराबर ज्ञान है। इन्हें ₹65,000 प्रति माह स्कॉलरशिप और ₹2 लाख का वार्षिक रिसर्च अनुदान (रिसर्च ग्रांट) मिलता है।
इसके अलावा, रिसर्च से जुड़ी दूसरी ज़रूरतें जैसे लाइब्रेरी की सुविधा, वर्कशॉप की फीस, सेमिनार में हिस्सा लेने का खर्चा—ये सब भी सरकार उठाती है, ताकि आपको पैसों की चिंता न करनी पड़े।
सेतुबंध योजना में निम्नलिखित विषयों में स्कॉलरशिप मिलती है: |
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आन्वीक्षिकी विद्या — Vedic philosophical/cognitive sciences |
भाषा एवं वाग्विश्लेषण विद्या — Language, speech & linguistics |
इतिहास एवं सभ्यता विद्या — Historical & civilizational sciences |
धर्मशास्त्र एवं लौकिकशास्त्र विद्या — Law, social and cultural sciences |
राजनीति एवं अर्थशास्त्र विद्या — Political, economic, strategic sciences |
गणित-भौत-ज्यौतिष विद्या — Mathematical, physical, astronomical sciences |
भैषज्य एवं आरोग्य विद्या — Medical & health sciences, Ayurveda |
द्रव्य-गुण-संयोग विद्या — Culinary, nutritional, pharmacological sciences |
कृषि एवं पशुपालन विद्या — Agricultural and veterinary sciences |
वास्तु एवं निर्माणकला विद्या — Civil/architectural sciences |
रस-धातु विद्या — Chemical/metallurgical/material sciences |
यांत्रिक एवं नव्य अभियांत्रिकी विद्या — Mechanical & digital engineering |
गांधर्व विद्या — Performing arts |
शिल्प-आलेख्य विद्या — Fine arts & sculpture |
अलंकारादि विद्या — Fashion & interior design |
शैक्षणिक-क्रीड़नीयक विद्या — Edutainment sciences |
वेद वेदांग दर्शन विद्या — Vedas & related philosophies |
दण्डनीति विद्या — Law & governance / political science |
अब तक कितने लोगों को फायदा मिला?
इसका कोई स्पस्ट जानकारी अभी तकप्राप्त नहीं हुई है। परन्तु इनमें ज़्यादातर लोग सरकारी रिसर्च संस्थानों, IITs और बड़ी यूनिवर्सिटीज़ में अच्छी रिसर्च कर रहे हैं। हर महीने नए आवेदन लिए जाते हैं, तो ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
ये योजना इतनी खास क्यों है?
सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें पहली बार ‘कौशल’ यानी स्किल को ‘डिग्री’ के बराबर मान्यता दी गई है। मतलब अगर आपके पास ज्ञान है, लेकिन डिग्री नहीं, तो भी आपके टैलेंट को अहमियत मिलेगी। खासकर वेद, ज्योतिष, संस्कृत, योग जैसे पारंपरिक विषयों में माहिर लोग अब देश की मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं। इससे न सिर्फ युवाओं को मौका मिलेगा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत भी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचेगी।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
शिक्षा से जुड़े जानकार मानते हैं कि ये योजना एक तरह से क्रांति है। इससे शिक्षा में बराबरी आएगी, नए-नए रिसर्च होंगे और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं, इससे भारत की ग्लोबल रैंकिंग भी बेहतर हो सकती है।
कैसे करे आवेदन –
सेतुबंध स्कॉलर योजना- आवेदन प्रक्रिया
निष्कर्ष
सेतुबंध विद्वान योजना उन सभी लोगों के लिए सुनहरा मौका है जिनके पास डिग्री नहीं है, लेकिन पारंपरिक शिक्षा और गहरा ज्ञान है। ये योजना पुराने और नए के मेल का एक सुंदर उदाहरण है। अगर आपने गुरुकुल से पढ़ाई की है और आपके पास ज्ञान है, तो ये योजना आपके लिए सफलता की सीढ़ी बन सकती है।
FAQs
सेतुबंधन विद्वान योजना एक सरकारी पहल है, जो पारंपरिक गुरुकुल शिक्षा प्राप्त छात्रों को बिना डिग्री भी उच्च शिक्षा और रिसर्च का मौका देती है। इसमें फेलोशिप और प्रतिष्ठित संस्थानों में रिसर्च की सुविधा मिलती है।
हाँ, अगर आपने गुरुकुल जैसी संस्था से 5 साल की पढ़ाई की है और पारंपरिक ज्ञान है, तो बिना डिग्री भी इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। यही इसका मुख्य उद्देश्य है।
चयनित स्कॉलर को हर महीने ₹40,000 से ₹65,000 तक की फेलोशिप मिलती है। साथ ही रिसर्च से जुड़ा खर्चा भी सरकार उठाती है, जिससे आर्थिक चिंता नहीं रहती।
ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर लॉगिन करें, पहचान पत्र और पारंपरिक शिक्षा से जुड़ी जानकारी व रिसर्च प्रपोजल अपलोड करें। इसके बाद इंटरव्यू या टेस्ट होगा, सिलेक्शन पर रिसर्च की अनुमति मिलेगी।