राजनीतिक शुरुआत

नागरिक समाज के माध्यम से राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने 2002 में स्वतंत्र चुनावों को बढ़ावा देने वाले संगठन “Súmate” की सह-स्थापना की।

संसदीय कार्यकाल और पार्टी

माचाडो ने वेनेजुएला की नेशनल असेंबली में कार्य किया, पर 2014 में मानवाधिकार उल्लंघन पर बोलने के कारण उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया। 2013 में उन्होंने Vente Venezuela नामक दल की स्थापना की, जो उदारवादी और लोकतांत्रिक सुधारों का समर्थन करता है।

तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष

माचाडो ने निरंतर तरीके से राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन के खिलाफ आवाज उठाई। उनके और उनके समर्थकों पर वर्षों से राजनीतिक उत्पीड़न, धमकियाँ, यात्रा प्रतिबंध और कानूनी कार्रवाईयां हुईं। इन सब के बावजूद उन्होंने देश छोड़ने से इनकार किया और अंदर रहकर शांतिपूर्ण प्रतिरोध का नेतृत्व किया।

उनका मानना रहा है कि लोकतंत्र बहाल करने का रास्ता सिर्फ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों से ही संभव है।

नोबेल समिति ने उन्हें क्यों चुना?

नोबेल कमेटी के अनुसार माचाडो ने यह दिखाया कि शांति के रास्ते से भी बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। उनके योगदान के कुछ प्रमुख बिंदु:

  • तानाशाही सरकार के खिलाफ वर्षों तक शांतिपूर्ण और लगातार संघर्ष।
  • 2024 के चुनावों में विपक्षी एकता स्थापित करना और चुनावी निगरानी के लिए नागरिक नेटवर्क बनाना।
  • चुनाव लड़ने से रोके जाने पर भी विरोध न छोड़ना और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर जोर देना।

यह पुरस्कार दुनिया के लिए क्या संकेत देता है?

1. वैश्विक ध्यान वेनेजुएला की ओर

अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय वेनेजुएला की राजनीतिक और मानवीय स्थिति पर अधिक ध्यान देगा और संभावित दबाव व सहायता की चर्चा बढ़ सकती है।

2. संघर्षरत लोगों के लिए प्रेरणा

यह सम्मान उन सभी व्यक्तियों और समूहों के लिए उम्मीद और साहस का प्रतीक बनेगा जो तानाशाही और दमन के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे हैं।

3. शांति की नई परिभाषा

पुरस्कार यह स्पष्ट करता है कि शांति का मतलब केवल संघर्ष का अभाव नहीं, बल्कि न्याय, अधिकार और स्वतंत्रता की बहाली भी है।

आप इसे भी पढ़ें> Nobel Prize 2025: विजेताओं की घोषणा जारी, जानिए भारत के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की पूरी सूची

निष्कर्ष

Nobel Peace Prize 2025 न केवल मारिया कोरिना माचाडो के व्यक्तिगत साहस के प्रति उनका सम्मान है, बल्कि यह उन सभी आवाज़ों की भी मान्यता है जो लोकतंत्र, मानवाधिकार और शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए खड़ी हैं। आज वर्तमान समय में माचाडो विश्व स्तर पर लोकतंत्र और शांतिपूर्ण प्रतिरोध की एक जीवंत मिसाल बन चुकी हैं।