भारत की तकनीकी शिक्षा में शोध की गुणवत्ता और पारदर्शिता को नई ऊंचाई नया आयाम देने के लिए AICTE (All India Council for Technical Education) ने जुलाई 2025 में एक रिपोर्ट सौंपी जिसमे AICTE PhD Rules 2025 के अनुसार PhD और DSc प्रोग्राम्स के लिए नई सख्त गाइडलाइन्स तैयार की हैं।
जुलाई 2025 में एक टास्क फोर्स ने रिपोर्ट सौंपी, जिसमें PhD और DSc Program 2025 कार्यक्रमों के लिए सख्त नियम प्रस्तावित किए गए हैं। इन प्रस्तावों का मकसद है
- शोध की गुणवत्ता अर्थात शोध प्रक्रिया में मौलिकता (originality) सुनिश्चित करना,
- AI के उपयोग को नियंत्रित करना और शोधको पारदर्शी बनाना,
- छात्रों को तेज़ व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी शोध के अवसर उपलब्ध कराना।
AICTE PhD Rules 2025 की ये सभी गाइडलाइन्स अब शिक्षा मंत्रालय की मंज़ूरी के बाद ही लागू होंगी और माना यह जा रहा है कि इससे भारत के शोध मानक वैश्विक स्तर पर और मजबूत होंगे।
AICTE PhD Rules 2025 का ये प्रस्ताव? कौन तैयार कर रहा है।
- टास्क फोर्स की अगुवाई कर रहे हैं के.आर. वेणुगोपाल, पूर्व कुलपति, बेंगलुरु विश्वविद्यालय।
- रिपोर्ट जुलाई 2025 में तैयार की गई और AICTE को सौंपी गई।
- प्रस्तावों को अब शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) की मंज़ूरी और गज़ट नोटिफिकेशन की आवश्यकता है।
AICTE PhD Rules 2025 में मुख्य बदलाव और नियम (What’s New)
| विषय | प्रस्तावित बदलाव | मैकेनिज़्म / लागू करने का तरीका |
|---|---|---|
| प्रकाशन (Publication Requirement) | रिसर्च स्कॉलर्स को Peer-Reviewed Journals या मान्यता प्राप्त कॉन्फ्रेंस में अपनी थीसिस आधारित पेपर प्रकाशित करना होगा। पेपर में विद्यार्थी पहला (First Author) और Corresponding Author होगा। यदि पेपर Scopus-Indexed Q1 Journal में प्रकाशित हो जाए, तो थीसिस जमा करने का समय घटाकर 2.5 साल किया जा सकेगा। | यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे ऐसे जर्नल और सम्मेलन सूचिबद्ध हों। पीयर-रिव्यू की प्रक्रिया पारदर्शी हो। |
| AI उपयोग (AI Use Disclosure) | थीसिस में AI उपयोग की खुली घोषणा (AI Disclaimer) अनिवार्य होगी। कुल थीसिस का AI योगदान 20% से अधिक नहीं होगा। जो हिस्से AI की मदद से तैयार होंगे उनका सही संदर्भ देना होगा। Plagiarism Check और Copyright Statement भी शामिल होंगे। | विश्वविद्यालयों में नियंत्रण प्रणाली बनेगी कि AI उपयोग कब, किस तरह और कितनी मात्रा में हुआ। थीसिस जमा करते समय जांच और समीक्षा की जाएगी। |
| समय सीमा, मार्गदर्शन और लचीलापन | उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी 2.5 साल में PhD पूरी कर सकेेंगे। विश्वविद्यालयों के बीच शोध छात्रों का migration / ट्रांसफर संभव होगा। रिटायर्ड फैकल्टी और “Professor of Practice” को को-गाइड (co-guide) की भूमिका मिलेगी। | नियमों में यह दर्ज होगा कि को-गाइड कैसे नामित होंगे, शुल्क या अन्य नियम क्या होंगे। ट्रांसफर की प्रक्रिया को स्पष्ट किया जाएगा। |
| DSc प्रोग्राम्स
(DSc AI Guidelines India) |
AICTE DSc Program Rules 2025 ke अनुसार इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, एप्लाइड साइंसेस आदि क्षेत्रों में Doctor of Science (DSc) कार्यक्रम शुरू होंगे। इनकी अवधि 1–3 साल होगी। DSc प्रोग्राम पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ताओं के लिए होगा। | पात्रता, शोध क्षेत्र निर्धारित किए जाएंगे। क्या ये अनुभव आधारित होंगे या निरंतर शोध पर आधारित होंगे, यह तय होना है। |
ध्यान दे आप- PhD Thesis AI Disclosure अनिवार्य।
AICTE ने स्पष्ट किया है कि PhD और DSc छात्रों को थीसिस में AI उपयोग की पूरी जानकारी देना अनिवार्य होगा। कुल थीसिस में AI योगदान 20% से अधिक नहीं होना चाहिए और इसे सही तरीके से cite करना होगा।
AI Disclaimer थीसिस में नही देने पर थीसिस स्वीकार नहीं होगी, इसलिए छात्रों को शुरुआत से ही AI के हर हिस्से का proper documentation रखना जरूरी है।
इस प्रस्तावना का महत्व और पृष्ठभूमि (Context & Rationale)
- NEP (National Education Policy) से मेल: NEP में कई जगह नैतिकता, शोध की गुणवत्ता, और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप शिक्षा देने की बात की गई है। AICTE की ये सिफारिशें NEP के लक्ष्य और दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं।
- अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड: कई देशों और विश्वविद्यालयों में AI किए जाते हैं, लेकिन उपयोग की पारदर्शिता और एथिक्स (ethics) की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए गए हैं। AICTE की पहल इसी तरह का कदम है।
- शोध की गुणवत्ता बढ़ाने की ज़रूरत: पीएचडी शोध के प्रकाशन न होने से न सिर्फ शोध की पहुंच कम होती है बल्कि छात्रों को गाइड करने का अनुभव भी नहीं मिलता। इससे शैक्षणिक और व्यावसायिक दोनों ही दृष्टियों से नुकसान होता है।
संभावित लाभ (Pros)
- शोध की गुणवत्ता में सुधार होगा क्योंकि लेखन, प्रकाशन और समीक्षा की प्रक्रिया मजबूत होगी।
- छात्रों में स्वतंत्रता और लेखन कौशल विकसित होंगे क्योंकि उन्हें पहले लेखक व Corresponding Author बनना होगा।
- AI का सीमित लेकिन वैध उपयोग सुनिश्चित होगा, जिससे मूलता (originality) बनी रहेगी।
- विश्वविद्यालयों में प्रबंधन और मानक संचालन नेव (standard operating norms) स्थापित होंगे जो शोध के मानदंड तय करेंगे।
- समय की बचत: यदि छात्र Q1 जर्नल में प्रकाशित कर लें, तो समय सीमा घटेगी — शोध जल्दी पूरा होगा।
AICTE PhD Rules 2025 की चुनौतियाँ और सम्भावित समस्याएँ।
- Q1 जर्नल्स में पब्लिश करना आसान नहीं — भाषा, रिसोर्स, को-गाइड का अनुभव, वित्तीय संसाधन आदि की कमी हो सकती है।
- विश्वविद्यालयों और संस्थानों में रिव्यु सिस्टम मजबूत नहीं होने से अनुपालन (compliance) में अंतर हो सकता है।
- AI का “इस्तेमाल” (usage) कहां शुरू और कहां खत्म हो यह तय करना मुश्किल होगा — उदाहरण के लिए: क्या prompt writing AI उपयोग है, क्या AI से केवल सुझाव लेना, क्या डेटा विश्लेषण में AI का सहारा लेना आदि।
- plagiarised AI output, hallucination-errors और बायस (bias) को संभालना पड़ेगा।
- छात्रों पर समय और दबाव बढ़ेगा, क्योंकि उन्हें प्रकाशन, समीक्षा, AI मान्यता, आदि सभी का ध्यान रखना होगा।
तैयारी कैसे करें (How Students/Institutes Should Prepare)
- थीसीस प्लानिंग शुरुआत से करें — थीसीस टॉपिक चुनते समय देखें कि उसमें किस तरह AI टूल्स काम आएँगे और कैसे आप उनकी जानकारी देना चाहेंगे।
- गाइड और को-गाइड की भूमिका स्पष्ट हो — यदि इस्तेमाल हो रहा है, तो गाइड के साथ यह तय कर लें कि कौन-कौन से हिस्से छात्र खुद तैयार करेगा और जस AI टूल्स होंगे उन पर कैसे कार्य होगा।
- प्रकाशन लक्ष्य निर्धारित करें — Q1 जर्नल खोजें, कॉन्फ्रेंस देखें, लेख लेखन की कार्यशालाएँ (writing workshops) लें।
- AI उपयोग दस्तावेज़ीकरण करें — कौन-सा टूल, किस हिस्से में, कितनी मात्रा में, क्यों उपयोग हुआ; इसके लिए नोट्स रखें; थीसीस ड्राफ्ट में AI Disclaimers तैयार रखें।
- संस्थान स्तर पर संसाधन मजबूत करें — यूनिवर्सिटीज़ को लेखन व प्रकाशन विभाग, परामर्श केंद्र, भाषा सुधार केंद्र, डेटा विश्लेषण सुविधाएँ आदि बेहतर करना होगा।
आप इसे भी पढ़े>UGC अब PhD admission में किसी यूनिवर्सिटी को रोक नहीं सकता– दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा आदेश
निष्कर्ष
AICTE PhD Rules 2025 की ये नई सिफारिशें सिर्फ नियम नहीं, बल्कि शोध प्रक्रिया में एक नया दृष्टिकोण हैं। PhD Thesis AI Disclosure Use, Mandatory Publication, और AI सहयोग के योग्य नियंत्रण से तकनीकी शिक्षा में सुधार होगा।
अगर ये नियम लागू हो जाते हैं, तो भारत में शोध की गुणवत्ता बढ़ेगी, शोधपत्र अधिक विश्वसनीय होंगे और शोधकर्ता-छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतर प्रतिस्पर्धा मिल सकेगी।
आप यदि PhD या DSc करने का इरादा रखते हैं, तो इससे जुड़ी तैयारियाँ अभी से शुरू करें — क्योंकि आने वाला समय शोधकर्ता के लिए पारदर्शिता, मूल योगदान और गुणवत्ता की मांग करेगा।