PG Diploma vs PG Degree judgement: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला PG डिप्लोमा, PG डिग्री के बराबर नहीं।

PG Diploma vs PG Degree High court judgement
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शिमला (Shimla news):

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि प्रमोशन के लिए PG Diploma vs PG Degree Judgement में केवल PG डिग्री को मान्यता दी जाएगी। अदालत ने कहा कि पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा को असिस्टेंट प्रोफेसर पदोन्नति के लिए PG डिग्री के बराबर नहीं माना जा सकता। इसलिए ऐसे उम्मीदवारों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन का अधिकार नहीं है।

यह फैसला जस्टिस विवेक सिंह और जस्टिस सुषील कुक्रेजा की खंडपीठ ने दिया, जिन्होंने यह स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश मेडिकल एजुकेशन सर्विस रूल्स, 1999 के तहत केवल PG डिग्री को ही आवश्यक योग्यता के रूप में मान्यता प्राप्त है।

PG Diploma vs PG Degree Judgement पर कोर्ट ने क्या कहा

बेंच ने अपने आदेश में कहा कि –

“नियमों की साधारण व्याख्या से स्पष्ट है कि न्यूनतम आवश्यक योग्यता पोस्टग्रेजुएशन डिग्री या उसके समकक्ष योग्यता है, और उम्मीदवार के पास PG डिग्री के बाद तीन वर्ष का शिक्षण अनुभव होना चाहिए। चूंकि नियमों में कहीं भी ‘डिप्लोमा’ का उल्लेख नहीं है, इसलिए इसे डिग्री के समान नहीं माना जा सकता।”

कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अगर सरकार का इरादा डिप्लोमा धारकों को भी शामिल करने का होता, तो नियमों में इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया होता।

मामला क्या था

याचिकाकर्ता ने बताया कि उसने MBBS (2006) के बाद PG मेडिकल डिप्लोमा प्राप्त किया और फिर सीनियर रेज़िडेंट के रूप में तीन वर्ष का शिक्षण अनुभव हासिल किया। बाद में उसने 2024 में MD डिग्री प्राप्त की और चंबा मेडिकल कॉलेज में कार्यरत हो गया।

उसका तर्क था कि  उसके डिप्लोमा के बाद प्राप्त तीन वर्ष के शिक्षण अनुभव को प्रमोशन के लिए मान्यता दी जानी चाहिए। लेकिन विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) ने उसके दावे को खारिज कर दिया और किसी अन्य उम्मीदवार की सिफारिश की।

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हिमाचल high court का PG डिप्लोमा निर्णय का अवलोकन

PG Diploma vs PG Degree promotion के अंतर्गत हाईकोर्ट ने पाया कि नियमों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए न्यूनतम योग्यता PG डिग्री निर्धारित है और डिप्लोमा का उल्लेख नहीं है। इसलिए, डिप्लोमा के बाद का अनुभव पात्रता में नहीं गिना जा सकता।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के Manish Sharma vs. State of Rajasthan (Civil Appeal No. 4415 of 2011) केस का हवाला देते हुए कहा कि “PG डिग्री और PG डिप्लोमा समान हैं या नहीं” — यह तय करने का अधिकार केवल सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) के पास है, और अब तक ऐसा कोई निर्णय पारित नहीं किया गया है।

अंतिम निर्णय

हाईकोर्ट ने अपने PG Diploma vs PG Degree promotion Judgment कहा कि विभाग और DPC ने सही निर्णय लिया कि याचिकाकर्ता असिस्टेंट प्रोफेसर (Anesthesiology) पद के लिए योग्य नहीं है क्योंकि उसके पास PG डिग्री के बाद का आवश्यक शिक्षण अनुभव नहीं था।

“हमारे विचार में, विभाग और DPC ने नियमों के अनुरूप निर्णय लिया है। याचिकाकर्ता पात्र नहीं था, इसलिए उसका दावा अस्वीकृत किया जाना उचित था।”
— हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट बेंच

पूरा आदेश पढ़ें

Himachal Pradesh HC Promotion Order (PDF)

PG Diploma vs PG Degree Judgement का मुख्य बिंदु:

  • PG Diploma vs PG Degree promotion में PG डिप्लोमा PG डिग्री के बराबर नहीं।
  • Assistant Professor प्रमोशन के लिए PG डिग्री आवश्यक।
  • तीन साल का शिक्षण अनुभव PG डिग्री के बाद ही मान्य।
  • 1999 के सर्विस नियमों में डिप्लोमा का उल्लेख नहीं।
  • कोर्ट ने DPC के निर्णय को सही ठहराया।

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के PG Diploma vs PG Degree Judgement निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के पदोन्नति के लिए नियमों में निर्दिष्ट पोस्टग्रेजुएट डिग्री ही मान्य न्यूनतम योग्यता है और डिप्लोमा को उसकी जगह नहीं लिया जा सकता। साथ ही, तीन वर्षों का शिक्षण अनुभव भी डिग्री के बाद होना अनिवार्य है। इस फैसले ने विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) के निर्णय को सही ठहराया और यह संदेश दिया कि किसी भी समकक्षता या छूट के लिए नियमों में स्पष्ट संशोधन या सक्षम प्राधिकारी का औपचारिक निर्णय अनिवार्य है।

 

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Ram Sarkaar

इन्होंने पत्रकारिता (Journalism) में स्नातकोत्तर(P.G.) डिग्री प्राप्त की है। ये समसामयिक मुद्दों और शिक्षा से जुड़े विषयों पर गहरी पकड़ रखतें हैं और पाठकों तक भरोसेमंद जानकारी सरल व प्रभावशाली भाषा में पहुँचाने के लिए जानें जाते हैं।

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