SILK Eye Surgery: अब चश्मे को कहें अलविदा। जानें इस नई तकनीक के बारे में सबकुछ।
मुख्य बातें:
- SILK एक अत्याधुनिक, फ्लैप-लेस लेजर प्रक्रिया है जो चश्मे से छुटकारा दिलाती है।
- यह पारंपरिक लेसिक (LASIK) की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और आरामदायक है और इसमें रिकवरी भी तेज होती है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया बेहद सुरक्षित है, हालांकि थोड़ी महंगी है।
क्या आप भी आपने आंखों के रोशनी के लिए चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के झंझट से परेशान हो चुके हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो अब आपकी चिंता खत्म हुई। क्यों कि आज विज्ञान की नई तकनीक ने आपकी इस समस्या का उपाय ढूंढ लिया है। इस नई तकनीक का नाम सिल्क (SILK)-स्मूथ इंसीजन लेंटिक्यूल केराटोमाइल्यूसिस (Smooth Incision Lenticule Keratomileusis) है। यह आंखों की रोशनी को साफ करने की दुनिया में सबसे नई और प्रभावी तकनीक है।
यह एक उन्नत, बिना फ्लैप वाली लेजर प्रक्रिया है, जिसमें आपकी आंखों की कॉर्निया से डिस्क के आकार का एक ऊतक (लेंटिक्यूल) निकालकर आपकी नजर को बेहतर बनाया जाता है।
क्या है सिल्क आई सर्जरी (SILK Eye Surgery)
सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. इकेडा लाल कहते है की “सिल्क एक लेंटिक्यूल-आधारित प्रक्रिया है जिसमें कॉर्निया से ऊतक (टिशू) की एक पतली परत को हटाकर चश्मे का नंबर ठीक किया जाता है।” हटाए जाने वाले ऊतक की मात्रा आपके चश्मे के प्रिस्क्रिप्शन पर निर्भर करती है।
जो लोग अपने चश्मे से छुटकारा पाना चाहते हैं, उनके लिए सही प्रक्रिया का चुनाव करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसमें डॉक्टर एक अहम भूमिका निभाते हैं।
डॉ. लाल ने बताया, “हम मरीजों को सही प्रक्रिया चुनने में मदद करते हैं, जो कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे – रिफ्रेक्टिव एरर (चश्मे का नंबर), कॉर्निया की बनावट (Corneal Topography) और उसकी मोटाई। इन कारकों के आधार पर हम यह तय करते हैं कि मरीज किस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है।”
क्या सिल्क (SILK) तकनीक लेसिक (LASIK) से कितनी अलग और बेहतर है।
आंखों की सर्जरी में लेसिक एक पुरानी और स्थापित तकनीक है, जो सिल्क की तुलना में थोड़ी सस्ती भी है। लेसिक में कॉर्निया में एक फ्लैप काटा जाता है और फिर उसे उठाकर नीचे के टिशू पर लेजर से इलाज किया जाता है।
वहीं, सिल्क सर्जरी को पारंपरिक लेसिक से बेहतर विकल्प माना जाता है। इसके मुख्य कारण हैं:
- ज्यादा सरल: यह एक फ्लैप-लेस (flapless) प्रक्रिया है, जिसमें कोई कट नहीं लगता।
- तेज रिकवरी: इसमें ऑपरेशन के बाद असुविधा कम होती है और मरीज बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
- कम जोखिम: सिल्क प्रक्रिया में आंखों में सूखेपन (Dry Eyes) का खतरा काफी कम होता है।
क्या यह प्रक्रिया सुरक्षित है?
डॉ. लाल के अनुसार, SILK Eye Surgery की प्रक्रियाएं बहुत सुरक्षित हैं। मरीजों को शुरुआत में आंखों में कुछ सूखापन महसूस हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञों की देखरेख में गंभीर जटिलताएं दुर्लभ होती हैं।
अपनी उन्नत तकनीक और बेहतर सुरक्षा के कारण यह थोड़ी महंगी जरूर है। भारत में इसकी लागत लगभग ₹1.25 लाख से ₹1.75 लाख के बीच आ सकती है और वर्तमान में इसकी उपलब्धता भी सीमित केंद्रों पर है।
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भविष्य की क्या संभावनाएं हैं?
डॉ. लाल बताते हैं कि नेत्रचिकित्सा (Ophthalmology) में इस समय SILK Eye Surgery पर काफी शोध चल रहा है। विशेषज्ञ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का आंखों पर क्या असर होता है और क्या इस तकनीक से 40 साल के बाद की नज़दीकी नजर की कमजोरी (Presbyopia) भी ठीक की जा सकती है।
भविष्य में उम्मीद है कि इस दिशा में और नई तकनीकें आएंगी जो हर उम्र के लोगों को बेहतर विजन का अनुभव देंगी — बिना चश्मे, बिना झंझट।
डिस्क्लेमर: SILK Eye Surgery यह लेख सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी और विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित है। किसी भी चिकित्सीय प्रक्रिया को शुरू करने से पहले आप हमेशा अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरूर लें।