27 हजार करोड़ की योजना पर सवाल
सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना शुरू की गई थी। करीब 27,342 करोड़ रुपये की लागत से पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। 15 सितंबर तक की रिपोर्ट के मुताबिक, डिस्कॉम्स (विद्युत वितरण कंपनियां) का दावा है कि 39,33,924 स्मार्ट प्रीपेड मीटर और 2,24,226 चेक मीटर लगाए जा चुके हैं।
लेकिन समस्या यह है कि इन मीटरों की रीडिंग का मिलान और उसकी रिपोर्ट न तो आयोग को सौंपी गई और न ही जनता के सामने आई।
UP Smart Meter पर शिकायतें क्यों बढ़ रही हैं?
- स्मार्ट मीटर तेजी से यूनिट गिन रहे इस लिए बिजली का बिल ज्यादा आ रहा हैं।
- अचानक लोड जंप हो रहा जिससे पेनल्टी लग रही है।
- इन कारणों से बैलेंस कटने की रफ्तार ज्यादा है।
उपभोक्ताओं का कहना है कि इन मीटरों की वजह से बिजली का खर्च अचानक बढ़ गया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का आरोप है कि डिस्कॉम्स जानबूझकर रीडिंग रिपोर्ट छुपा रहे हैं।
आयोग और केंद्र सरकार से गुहार
UP Smart Meter पर अवधेश वर्मा ने केवल नियामक आयोग से ही नहीं बल्कि भारत सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को लिखकर कहा है कि रिपोर्ट सार्वजनिक कराई जाए ताकि उपभोक्ताओं की शंकाएं दूर हो सकें।
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डिस्कॉमवार मीटर का हाल
राज्य में अलग-अलग डिस्कॉम्स ने अब तक लाखों स्मार्ट मीटर लगाए हैं। लेकिन चेक मीटर और स्मार्ट मीटर की रीडिंग मिलान रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई।
डिस्कॉम | लगाए गए स्मार्ट मीटर | चेक मीटर |
---|---|---|
पूर्वांचल | 13,32,868 | 84,867 |
मध्यांचल | 9,01,361 | 57,578 |
दक्षिणांचल-केस्को | 9,23,520 | 50,624 |
पश्चिमांचल | 7,76,175 | 31,157 |
जनता में बढ़ रहा गुस्सा
जिन उपभोक्ताओं के घर ये स्मार्ट मीटर लगे हैं, उनमें से कई लोग UP Smart Meter को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। किसी का कहना है कि पहले जहां उनका बिल 500-600 रुपये आता था, अब 1,000 से ऊपर जा रहा है। कई उपभोक्ता ये भी आरोप लगा रहे हैं कि मीटर की डिस्प्ले पर दिखाई देने वाला बैलेंस और असल खपत में फर्क है।
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आगे क्या होगा?
नियामक आयोग अब इस पूरे मामले पर विचार कर रहा है। अगरUP Smart Meter मीटर रीडिंग रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई तो उपभोक्ताओं का विरोध और बढ़ सकता है। सरकार और डिस्कॉम्स के लिए यह बड़ा सिरदर्द बन सकता है क्योंकि करोड़ों रुपये की लागत से शुरू हुई इस योजना का मकसद पारदर्शिता और सही बिलिंग था। लेकिन अब यही योजना उपभोक्ताओं के बीच अविश्वास का कारण बन गई है।
👉 सवाल अब यह है कि क्या सच में स्मार्ट मीटर ज्यादा चल रहे हैं, और यूपी स्मार्ट मीटर बिल ज्यादा या रहे है या फिर यह केवल उपभोक्ताओं की गलतफहमी है? सच्चाई तभी सामने आएगी जब सरकार और डिस्कॉम्स मीटर रीडिंग रिपोर्ट को सार्वजनिक करेंगे।