Alert_Digital Swaraj Mission: GTRI की रिपोर्ट में अमेरिकी तकनीक पर निर्भरता से भारत की डिजिटल संप्रभुता पर खतरा

Digital Swaraj Mission
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भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। डिजिटल पेमेंट, ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन शिक्षा और सोशल मीडिया ने देश के विकास को नई दिशा दी है। लेकिन हाल ही में प्रकाशित GTRI की एक रिपोर्ट डिजिटल निर्भरता में चेतावनी दी गई है कि भारत की डिजिटल रीढ़ अमेरिकी कंपनियों और तकनीक पर गहरी निर्भरता के कारण असुरक्षित है। यही वजह है कि Digital Swaraj Mission को प्राथमिकता के साथ लागू करना अब एक राष्ट्रीय आवश्यकता बन चुकी है।

अमेरिकी तकनीक पर भारत की निर्भरता

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भारत में लगभग 50 करोड़ स्मार्टफोन एंड्रॉइड प्लेटफ़ॉर्म पर चलते हैं और सरकारी पोर्टल अधिकांशतः विंडोज OS पर निर्भर हैं। डेटा स्टोरेज और क्लाउड सेवाएं AWS, Google Cloud और Microsoft Azure जैसी अमेरिकी कंपनियों पर केंद्रित हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर सार्वजनिक चर्चा भी इन विदेशी प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है।

इस निर्भरता का मतलब है कि यदि कभी भू-राजनीतिक तनाव या तकनीकी रोक लगे, तो भारत का भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम प्रभावित हो सकता है। बैंकिंग, ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन सेवाएं अस्थायी रूप से ठप पड़ सकती हैं

डिजिटल आत्मनिर्भरता की आवश्यकता

भारत की डिजिटल सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए Digital Swaraj Mission बेहद महत्वपूर्ण है। इस मिशन का उद्देश्य देश की डिजिटल रीढ़ को विदेशी तकनीक पर निर्भरता से मुक्त करना और स्वदेशी तकनीक को अपनाना है।

स्वदेशी तकनीक अपनाने से डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी और डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty in India) मजबूत होगी।

भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम और स्वदेशी क्लाउड

भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित करना भारत की डिजिटल स्वतंत्रता की दिशा में पहला कदम है। इससे सरकारी और रक्षा संस्थाओं की सुरक्षा बढ़ेगी और युवा तकनीकी प्रतिभाओं को स्वदेशी सॉफ़्टवेयर पर काम करने का अवसर मिलेगा।

भारत का स्वदेशी क्लाउड देश की डिजिटल रीढ़ को मज़बूती प्रदान करता है। वर्तमान में भारत की डेटा सेंटर क्षमता 637 मेगावॉट है, जो 2026 तक 1,800 मेगावॉट तक पहुँचने की संभावना है। 138 डेटा सेंटर वर्तमान में सक्रिय हैं, और 2025 तक 45 नए डेटा सेंटर स्थापित किए जाने की योजना है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: चीन, रूस और यूरोप

भारत केवल अपने डिजिटल सिस्टम पर ध्यान नहीं दे रहा; दुनिया के अन्य देश भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं:

  1. चीन: सरकारी और रक्षा संस्थानों में विदेशी सॉफ़्टवेयर को पूरी तरह हटा दिया गया है। चीन का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्वदेशी प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है। डेटा सुरक्षा और निगरानी के लिए मजबूत राष्ट्रीय क्लाउड नेटवर्क का निर्माण कर आत्मनिर्भर हो चुका है।
  2. रूस: विदेशी OS और सॉफ़्टवेयर पर निर्भरता कम करने के लिए रूस द्वारा अपना स्वदेशी इंटरनेट और लोकल क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए गए हैं। सरकारी और बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूरी तरह स्वदेशी बनाया गया है।
  3. यूरोप: यूरोपीय संघ ने Digital Markets Act लागू किया है और स्थानीय क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म के विकास को प्रोत्साहित किया है। डेटा प्राइवेसी और यूरोपियन डेटा लॉज के अनुसार संवेदनशील डेटा को यूरोप के बाहर ट्रांसफर करने पर रोक लगाई गई है।

भारत के लिए इन देशों के मॉडल सीखने योग्य हैं। इससे स्पष्ट होता है कि Digital Swaraj Mission को लागू करना न केवल आवश्यक है, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए भी अनिवार्य है।

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भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम का रोडमैप

Digital Swaraj Mission को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है:

  1. शॉर्ट टर्म (1–2 साल):  सरकारी डेटा के लिए लोकल क्लाउड अपनाना और मंत्रालयों में लिनक्स/स्वदेशी सॉफ़्टवेयर का पायलट प्रोजेक्ट।
  2. मीडियम टर्म (3–5 साल): सभी सरकारी सिस्टम को स्वदेशी सॉफ़्टवेयर पर माइग्रेट करना और साइबर सुरक्षा के लिए पब्लिक-प्राइवेट कंसोर्टियम बनाना।
  3. लॉन्ग टर्म (5–7 साल): रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में विदेशी OS हटाना और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तैयार करना।

भारत की तकनीकी सुरक्षा: डेटा और साइबर खतरे

साइबर सुरक्षा घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। 2019 में CERT-In ने लगभग 3.94 लाख साइबर घटनाओं की रिपोर्ट की थीं, जो 2023 में बढ़कर 15.92 लाख हो गईं। सरकारी संस्थानों पर 2 लाख से अधिक साइबर अटैक हुए, और 2024 में रैनसमवेयर हमलों में लगभग 55% की वृद्धि दर्ज की गई।

साइबर फ्रॉड के कारण वित्तीय नुकसान भी लगातार बढ़ा। 2024 में भारत को लगभग ₹22,845 करोड़ का नुकसान हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 206% अधिक है।

यह दिखाता है कि भारत की तकनीकी सुरक्षा और डिजिटल आत्मनिर्भरता अब प्राथमिकता बन चुकी है।

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निष्कर्ष

भारत ने पहले ही UPI और ONDC जैसी सफल स्वदेशी पहलें लागू की हैं। अब समय है कि Digital Swaraj Mission को लागू करके देश की डिजिटल आत्मनिर्भरता और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो चीन, रूस और यूरोप ने भी अपने डिजिटल सिस्टम को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

Digital Swaraj Mission से भारत न केवल डिजिटल संप्रभुता हासिल करेगा बल्कि वैश्विक डिजिटल परिदृश्यमें डिजिटल लीडर के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा।

FAQs

Digital Swaraj Mission क्या है?

भारत को डिजिटल तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने की राष्ट्रीय पहल।

GTRI रिपोर्ट में क्या चेतावनी दी गई है?+

भारत अमेरिकी तकनीक पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे डिजिटल सुरक्षा खतरे में है।

भारत को डिजिटल संप्रभुता क्यों आवश्यक है?+

देश अपने डिजिटल संसाधनों और डेटा पर पूर्ण नियंत्रण रखे। यह राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवश्यक है।

चीन, रूस और यूरोप के डिजिटल संप्रभुता मॉडल में क्या अंतर है?+

चीन "Digital Silk Road" से वैश्विक पकड़ मजबूत कर रहा है, रूस स्वदेशी OS और क्लाउड से विदेशी निर्भरता घटा रहा है, जबकि यूरोप "Gaia-X" व "EuroStack" से डेटा सुरक्षा व गोपनीयता पर जोर देकर अमेरिकी-चीनी तकनीक से दूरी बना रहा

भारत डिजिटल संप्रभुता के लिए क्या कर सकता है?+

स्वदेशी OS और क्लाउड विकसित करना, साइबर सुरक्षा मजबूत करना, डेटा नियंत्रण और गोपनीयता नीतियाँ लागू करना।

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Ram Sarkaar

इन्होंने पत्रकारिता (Journalism) में स्नातकोत्तर(P.G.) डिग्री प्राप्त की है। ये समसामयिक मुद्दों और शिक्षा से जुड़े विषयों पर गहरी पकड़ रखतें हैं और पाठकों तक भरोसेमंद जानकारी सरल व प्रभावशाली भाषा में पहुँचाने के लिए जानें जाते हैं।

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