Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन युद्ध में PM मोदी विश्व के नेताओ ने की मध्यस्था की अपील। ट्रेड डील पर चर्चा

Ukraine Crisis
Ukraine Crisis:नरेंद्र मोदी के साथ उर्सुला वॉन डेर लेयेन. credit PTI File Photo
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय संघ (EU) के शीर्ष नेतृत्व के बीच हाल ही में हुई बातचीत के बाद भारत की वैश्विक भूमिका और कूटनीतिक ताकत पर नज़रें टिकी हैं। EU ने औपचारिक रूप से भारत से अनुरोध किया है कि वह Ukraine Crisis अर्थात रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता करे और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाए।

यह अपील व्यापार, वैश्विक सुरक्षा और साझेदारी की व्यापक पृष्ठभूमि में की गई है, जहां दोनों पक्ष कारोबारी रिश्तों को भी मजबूती देने पर ज़ोर दे रहे हैं।

Ukraine Crisis: यूरोपीय संघ के नेतृत्व की अपील

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष और आयोग की प्रमुख ने मोदी को सीधे संवाद में आश्वस्त किया कि विश्वशांति बहाली में भारत की भूमिका निर्णायक हो सकती है।  Ukraine Crisis को देखते हुए उन्होंने कहा कि रूस की आक्रामकता पर विराम लगवाने के लिए भारत अपने कूटनीतिक प्रभाव का प्रयोग करे। EU ने स्पष्ट किया कि इस युद्ध से वैश्विक स्थिरता और व्यापार दोनों प्रभावित होते हैं, और भारत इस संकट में बदलाव ला सकता है.

भारत का कूटनीतिक रुख

प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत के दौरान भारत की नीति स्पष्ट करते हुए कहा कि सभी संघर्षों का समाधान केवल संवाद और कूटनीति से ही संभव है। उन्होंने तत्काल युद्धविराम और शांति बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया।
विदेश मंत्री एस.
जयशंकर ने भी यूक्रेन के विदेश मंत्री से संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में मुलाकात की और शांति प्रयासों पर चर्चा की। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सकारात्मक पहल माना जा रहा है।

आप इसे भी पढ़ें> New GST Rate List : रोटी, कपड़ा और बाईक हुए सस्ते– देखें 0% GST की पूरी लिस्ट

व्यापार रणनीति और समझौता

यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) के बीच भारत और यूरोपियन यूनियन (EU) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) अचानक प्राथमिकता में आ गया है। हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ के चलते भारत को अपने व्यापारिक रिश्तों को नए सिरे से सहेजने की ज़रूरत महसूस हो रही है।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-ईयू व्यापार लगभग 137.5 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है। इसी पृष्ठभूमि में यूरोपियन यूनियन ने इस समझौते को दिसंबर तक अंतिम रूप देने का प्रस्ताव रखा है। यदि यह समझौता तय हो जाता है तो भारत और यूरोप के बीच व्यापारिक संबंधों को नई गति और मजबूती मिल सकती है।

आप इसे भी पढ़े> SSC CGL Exam Date 2025: इंतजार खत्म! जानें नई परीक्षा तिथि और महत्वपूर्ण बदलाव

रणनीतिक साझेदारी: नए आयाम

भारत और EU ने आगामी 2026 India-EU समिट का खाका तैयार किया है, जिसमें दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच रणनीतिक एजेंडा और साझा मूल्यों को मजबूती मिलेगी। इस प्रयास का उद्देश्य न सिर्फ व्यापार बल्कि वैश्विक सुरक्षा, तकनीक और निवेश में भी संयुक्त भागीदारी की नई जमीन तैयार करना है।

भारत पर प्रभाव

Ukraine Crisis का सीधा असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य आपूर्ति और व्यापारिक संबंधों पर पड़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध से कच्चे तेल और गैस की कीमतें बढ़ीं, जिससे भारत का आयात बिल भारी हुआ। साथ ही, यूरोप और अमेरिका के साथ नए समझौते तलाशने की आवश्यकता सामने आई। इसी कारण भारत-ईयू फ्री ट्रेड डील अब विशेष महत्व रखती है।

निष्कर्ष

आज के दौर में EU calls on India to mediate Ukraine Crisis सिर्फ कूटनीतिक बयान नहीं है, बल्कि भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी को दर्शाता है।
भारत की संतुलनकारी नीति और मजबूत कूटनीतिक संबंध उसे रूस और पश्चिमी देशों के बीच सेतु बनाने का अवसर देते हैं।
इसके साथ ही, India-EU Trade Deal से व्यापारिक रिश्ते और मज़बूत होंगे, जिससे भारत की वैश्विक भूमिका और भी बढ़ेगी।
आगामी 2026 समिट इस बात का प्रमाण होगी कि भारत को अब एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता (Global Leader) के रूप में देखा जा रहा है।

Avatar photo
Ram Sarkaar

इन्होंने पत्रकारिता (Journalism) में स्नातकोत्तर(P.G.) डिग्री प्राप्त की है। ये समसामयिक मुद्दों और शिक्षा से जुड़े विषयों पर गहरी पकड़ रखतें हैं और पाठकों तक भरोसेमंद जानकारी सरल व प्रभावशाली भाषा में पहुँचाने के लिए जानें जाते हैं।

Articles: 12

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *