स्कूलों में अब नशे के बारे में खुलकर चर्चा होगी। CBSE और NCB ने drug awareness in schools कार्यक्रम शुरू किया है। इसका मकसद बच्चों को नशे के खतरों से बचाना और उन्हें सुरक्षित, स्वस्थ और जागरूक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। आईये विस्तार से इसके बारे में जानते है।
जानिए बच्चों को कैसे बचाएंगे
नई दिल्ली: देश में बढ़ती नशे की लत, खासकर युवाओं और स्कूली छात्रों के बीच, एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के साथ मिलकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है, इन्होने साझा रूप से drug awareness in schools नाम का प्रोग्राम लाँच किया है।
यह साझेदारी देश भर के सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में एक व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करने जा रही है, जिसका मुख्य लक्ष्य छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को नशे के खतरों के प्रति जागरूक करना और एक नशा-मुक्त वातावरण बनाना है।
इस साझेदारी को औपचारिक रूप देने के लिए, 3 सितंबर 2025 को सीबीएसई के द्वारका स्थित मुख्यालय में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह कदम सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि देश के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक ठोस पहल है।
नशा-मुक्त स्कूल, सुरक्षित भविष्य
सीबीएसई और एनसीबी का यह सहयोग सिर्फ एक जागरूकता अभियान तक सीमित नहीं होगा। इसके तहत कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इनमें कार्यशालाएं, परामर्श सत्र और शिक्षकों व स्कूल प्राचार्यों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को न सिर्फ नशे के दुष्प्रभावों के बारे में बताना है, बल्कि उन्हें एक स्वस्थ और जिम्मेदार जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना भी है।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में स्कूल जाने वाले बच्चों में तम्बाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बढ़ा है। यह प्रवृत्ति उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। इस समस्या को पहचानते हुए, सीबीएसई ने स्कूलों को इस खतरे से लड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मोर्चा माना है।
शिक्षकों और अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस अभियान में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका सबसे अहम होगी। अक्सर बच्चे नशे की लत की ओर चुपचाप बढ़ जाते हैं और उनके शुरुआती लक्षण पहचानना मुश्किल होता है। इसीलिए, समझौते पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद, सीबीएसई एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा। इसमें स्कूल के प्राचार्यों और काउंसलर्स को नशीले पदार्थों के शुरुआती लक्षणों को पहचानने और समय पर हस्तक्षेप करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें यह भी सिखाया जाएगा कि कैसे वे छात्रों के लिए एक सुरक्षित और फ्रेंडली माहौल बना सकते हैं, जहां वे बिना किसी डर के अपनी समस्याएं एक दुसरे से साझा कर सकें।
एन0सी0बी0 के अधिकारी भी सीधे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से जुड़कर उन्हें नशे के दुष्प्रभावों और इस खतरे को रोकने में उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताएंगे। यह एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें हर हितधारक की भागीदारी आवश्यक है।
क्यों जरूरी है यह कदम?
यह अभियान इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नशा केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक बुराई है जो पूरे समाज की नींव को कमजोर करती है। यह बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन, उनके स्वास्थ्य और उनके भविष्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। स्कूल वह जगह है जहां बच्चों का चरित्र निर्माण होता है। अगर यहीं से उन्हें नशे के खिलाफ मजबूत शिक्षा और समर्थन मिले, तो वे सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
सीबीएसई ने अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यह पहल पिछले कुछ वर्षों से चल रहे उनके ‘से नो टू ड्रग्स, यस टू लाइफ’ जैसे अभियानों को और भी सशक्त बनाएगी। एनसीबी के साथ साझेदारी से इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई दिशा मिलेगी, जिससे लाखों छात्रों तक पहुंच बनाई जा सकेगी।
यह पहल ‘नशा मुक्त भारत’ अभियान की दिशा में एक सराहनीय कदम है। उम्मीद है कि यह देशभर के स्कूलों में एक ऐसा माहौल बनाएगा, जहां छात्र स्वस्थ, सुरक्षित और सकारात्मक जीवन की ओर बढ़ सकेंगे और देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे।
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निष्कर्ष
CBSE और NCB ने drug awareness in schools अभियान शुरू किया है। इसका मकसद बच्चों को नशे के खतरों से बचाना और उन्हें स्वस्थ, जागरूक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी इस पहल की सफलता के लिए अहम है।
यह लेख केवल जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से है। लेखक/साइट किसी भी व्यक्तिगत निर्णय या नशीले पदार्थों के उपयोग के परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है।
FAQs
हाँ, CBSE और NCB ने स्कूलों में drug awareness in schools अभियान को औपचारिक रूप देने के लिए MoU पर हस्ताक्षर किया है। इसका मकसद दोनों संस्थाओं के बीच सहयोग स्थापित करना और बच्चों को नशे से बचाने के लिए रणनीतियाँ बनाना है।
दोनों संस्थाएँ स्कूलों में कार्यशालाएं, परामर्श सत्र और शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगी। इसका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को नशे के खतरों के प्रति जागरूक करना और सुरक्षित, नशा-मुक्त माहौल बनाना है।
यह पहल स्कूलों को नशा मुक्त माहौल एवं वातावरण बनाने से है। इस प्लान के माध्यम से स्कूल में बच्चों को नशे के पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताये जाएंगे और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इस सहयोग का अर्थ है कि देश भर के CBSE स्कूलों में नशा जागरूकता अभियान प्रभावशाली ढंग से लागू होगा। इससे बच्चों को नशे से बचाने में सरकार से सहायता मिलेगी और स्कूलों में सुरक्षित, जागरूक और जिम्मेदार वातावरण बनेगा।